Abhimanyu vadh
आपने बहुत अच्छा प्रश्न किया है, कृष्ण भगवान चाहते तो अभिमन्यु को मरने नहीं देते , वो उसको बचा सकते थे। परन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया क्यूंकि पहली बात तो ये थी की भगवान शिव के द्वारा सिंधु नरेश जयद्रथ को वरदान प्राप्त था की वो अर्जुन को छोड़ कर बाकी चारों पांडवो पर एक दिन के लिए भारी था और ये वही दिन था। दूसरा अगर भगवान् कृष्ण अभिमन्यु को बचा लेते तो पांडवो की जीत मुश्किल होती क्यूंकि कर्ण का वध बहुत मुश्किल हो जाता। जिस तरह का छल कर्ण और दुर्योधन के योद्धाओ ने किया उस से महाभारत के सारे नियम टूट चुके थे और कर्ण को उस तरीके से नहीं मारा जा सकता था। कर्ण को अगर छल द्वारा नहीं मारा जाता तो ये युद्ध १८ दिन नहीं बल्कि कई दिन और चलता और ये भी मुमकिन था की पांडव इस युद्ध में हार जाते .
दुर्योधन भीष्म पितामह और द्रोणाचार्य से ज्यादा विश्वास कर्ण पर करता था और जब तक कर्ण जिन्दा रहते तब तक पांडव जीत से उतनी ही दूर रहते जितना युद्ध के प्रथम दिन थे। महाभारत में सबसे जघन्य अपराध अभिमन्यु का वध ही था एक निहत्थे बालक को ७ - ७ योद्धाओ ने मिलकर मारा। और इस घटना ने महाभारत में नया मोड़ ला दिया था। कर्ण बेशक वीर था परन्तु एक जघन्य पाप का भागी भी था
पढ़ने के लिए धन्यवाद
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